पिछले कुछ वर्षों से वैवाहिक कार्यक्रम भव्यता की ओर बढ़ते दिख रहे हैं!देश के लोग शिक्षा से ज्यादा वैवाहिक कार्यक्रमों पर खर्च करते हैं! हकीकत यह है कि अब शादियां भव्य होती जा रही हैं और रिश्ते खोखले!शादी में किए जाने वाले खर्च को व्यक्ति की प्रतिष्ठा से जोड़ कर देखा जाने लगा है और लोग शादियों में पैसे को पानी की तरह बहाते हैं। शाही शादियों के पीछे एक बड़ा कारण उपभोक्तावाद की बढ़ती प्रवृत्ति और दहेज की लालसा है! जिस तरह से शादियों में दहेज का लालच बढ़ रहा है,उससे यह सवाल उठेगा कि क्या विवाह अपने स्वार्थ के लिए किया गया एक समझौता है! इसके अलावा,अब शादियों को दिखावे और प्रतिस्पर्धा के रूप में भी देखा जाने लगा है!परंपराओं के मुकाबले सब कुछ पूरी तरह बाजारवाद से प्रभावित है! सवाल है कि हमें इससे क्या प्राप्त हुआ,तो जवाब है बेतहाशा भोजन की बर्बादी,बढ़ती दहेज संस्कृति,लोगों पर बढ़ता कर्ज, बेटियों के जन्म को समस्या के रूप में देखा जाना!इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए!!
Asha foundation trust, mobile no.7906119373
#ngodarpan
8010884848
No comments:
Post a Comment